मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है,
पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।
देहरादून की बेटी युवा उद्यमी दिव्या रावत (Divya Rawat) पर यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं। 2013 में नौकरी को छोड़कर कुछ अलग करने की ठानी। नया क्या किया जाए, अपने पहाड़ के साथ खुद को नई पहचान कैसी दी जाए, ये सोचकर दिव्या रावत (Divya Rawat) ने एक कदम बढ़ाया। एक आइडिया मशरूम की खेती का क्लिक किया, बस फिर क्या था, जिस सफर के लिए नौकरी को छोड़ा था, उस सफर पर निकली परी और अपनी मेहनत और लगन से बन गई ‘मशरूम लेडी (Mushroom Lady)‘।
मशरूम लेडी दिव्या रावत की कहानी न सिर्फ प्रेरणा देती है, बल्कि युवाओं को कुछ नया करने की सीख भी देती है। दिव्या रावत को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में यह पुरस्कार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों ग्रहण किया।

दिव्या रावत (Divya Rawat) उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली है। उनके पिता तेज सिंह आर्मी से रिटायर है। दिव्या(Divya) ने अपनी पढ़ाई दिल्ली एनसीआर के नोएडा स्थित एमटी यूनिवर्सिटी और इग्नू से की है। इसके बाद उन्होने दिल्ली की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रही थी। उस समय दिव्या(Divya)) के पास एक अच्छी पोज़िशन और सैलरी थी।
इतना कुछ होने के बाजूद दिव्या(Divya) इन सब से खुश नहीं थी। दिव्या(Divya) अपने घर वापस जाना चाहती थी। लेकिन चमोली जैसे छोटे से गांव में रोजगार के अवसर न के बराबर है। दिव्या(Divya) की जगह कोई ओर होता तो शायद अपनी जॉब से खुश रहता। लेकिन दिव्या(Divya) के सपने और चाहत कुछ ओर ही थी।
दिव्या(Divya) ने अपनी जॉब छोड़ने का फैसला किया और उत्तराखंड लौट गई। उन्होने साल 2014 में देहरादून से मशरुम प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी फॉर आंत्रेप्रेन्योर द डायरेक्टर ऑफ मशरुम रिसर्च सेंटर से परीक्षण हासिल की और चमोली लौट गई। दिव्या(Divya) ने अपने घर वालो को बताया कि वो मशरुम की खेती करना चाहती है।
दिव्या(Divya) के इस फैसले से नाखुश उनके परिवार वालों ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की, वो वापस दिल्ली लौट जाए लेकिन दिव्या(Divya) अपना मन बना चुकी थी। दिव्या(Divya) ने मात्र कुछ हजार से अपना मशरुम की खेती का बिजनेस शुरु किया। और धीरे – धीरे दिव्या(Divya) की मेहनत रंग लाने लगी।
दिव्या(Divya) ने 35 से 40 डिग्री तापमान में मशरुम उगाने से अपना बिजनेस शुरु किया। 35 डिग्री में मशरुम उगाना एक कारनामा ही है जबकि आम धारणा यही है कि मशरूम उत्पादन कम तापमान (20 से 22 डिग्री) में ही संभव है।

दिव्या(Divya) की कंपनी आज बटन, ओस्टर, मिल्की मशरुम जैसे उच्च कोटि के मशरुम – Divya Rawat Mushroom का बिजनेस करती है। दिव्या(Divya) के इस बिजनेस के कारण चमोली और आसपास के गांव की महिलाओं को रोजगार मिला और उनकी जिंदगी में भी सुधार आने लगा। उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या है और पलायन की मुख्य वजह रोजगार है। दिव्या (Divya) के अपने गांव में ही रोजगार उत्पन्न करने से उनके गांव के लोगों को अब काम की तलाश में कही बाहर जाने की जरुरत नहीं थी।
दिव्या(Divya) को उनकी इस कामयाबी के लिए पहले उत्तराखंड सरकार द्वारा और उसके बाद विश्व महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा मशरुम क्रांति के लिए सम्मानित किया जा चुका है। यही नही उत्तराखंड सरकार ने दिव्या(Divya) के कार्यक्षेत्र को मशरुम घाटी घोषित कर दिया है।
अच्छी गुणवत्ता के कारण सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड के मशरुम उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश भर में सप्लाई किए जाते है। दिव्या(Divya) रावत की माने तो ये सिर्फ शुरुआत है उनका सपना तो उत्तराखंड को एक दिन मशरुम स्टेट बनाने का है। जिसके लिए वो दिन रात मेहनत कर रही है। दिव्या(Divya) ने उन सभी युवाओं के लिए एक उदाहरण है जो अपने दम पर कुछ करने का साहस रखते है। और अपने साथ – साथ दूसरे के लिए भी सोचते है।
दिव्या(Divya) का कहना है कि अगर जीवन में किसी भी काम में सफलता चाहिए, तो पहले अपना काम सीखों और फिर दूसरों को सीखा दो। ऐसा करने से आपके काम आगे बढ़ेगा और आप जरूर तरक्की करोगे। आज दिव्या(Divya) मशरूम के प्रॉडक्शन की ट्रेनिंग भी देती हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ सके।
मशरूम लेडी दिव्या रावत का इंटरव्यू
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